sanketon ko mahilaen kyon behatar samajh sakatee hai - संकेतों को महिलाएं क्यों बेहतर समझ सकती है
जैसा हमने अपनी पुस्तक why Men Don t Listen and Women Can t Read Maps मैं लिखा है पुरुषों का दिमाग छोटे-छोटे शब्द हीन और स्वर - संबंधी संदेश समझने के लिए पूरी तरह अनुकूल नहीं होता है इसलिए महिलाएं पुरुषों को दूसरों की आवश्यकता हो या भावनाओं के प्रति लापरवाह या असंवेदनशील समझती है
सार्वजनिक स्थान पर महिला कई बार पुरुषों से यहां कहती है क्या तुमने मेरी आंख का इशारा नहीं देखा था तुम्हें यहां समझ जाना चाहिए था कि मैं पार्टी छोड़कर घर जाना चाहती थी वहां आंख का इशारा बहुत-सी महिलाओं को साफ समझ में आ सकता है और बहुत से पुरुषों को यहां बिल्कुल भी समझ में नहीं आता
पुरुष निष्ठुर नहीं होते उनका दिमाग ही इस तरह से नहीं बना होता कि वे देशभाषा के सूक्ष्मा संकेतों को पढ़ सके
जब कोई महिला कहती है कि उसे कोई व्यक्ति समूह के विचार से आकाश या असहमत दिख रहा है तो वह वास्तव में शार्ट या असहमति देख रही है उसे यह पता चल जाता है कि किस व्यक्ति की देशभाषा समूह से अलग जा रही है अधिकतर पुरुषों को
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आशवय होता है कि महिला किस तरह असहमति गुस्सा चालाकी ओर चोट को देख सकती है ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अधिकतर पुरुषों के मस्तिक देश भाषा के सूक्ष्म वर्णन पढ़ने के लिए उत्तर में सक्षम नहीं होते जितने की महिला के होते हैं इसलिए आमने सामने की मुलाकात में किसी महिला से झूठ बोलने का प्रयास करना ना समझी होगी फोन पर ऐसे करने में कम जोखिम है
आशवय होता है कि महिला किस तरह असहमति गुस्सा चालाकी ओर चोट को देख सकती है ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अधिकतर पुरुषों के मस्तिक देश भाषा के सूक्ष्म वर्णन पढ़ने के लिए उत्तर में सक्षम नहीं होते जितने की महिला के होते हैं इसलिए आमने सामने की मुलाकात में किसी महिला से झूठ बोलने का प्रयास करना ना समझी होगी फोन पर ऐसे करने में कम जोखिम है